27-11-1948 Sardar Patel warned Pakistan to stay away from Kashmir. | Vithalbhai Patel, Sardar Patel

27-11-1948 Sardar Patel warned Pakistan to stay away from Kashmir.

27-11-1948 Sardar Patel warned Pakistan to stay away from Kashmir.

सरदार पटेल ने पाकिस्तान को कश्मीर से दूर रहने की चेतावनी दी।


27 नवंबर 1948 को, भारत के उपप्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने एक जनसभा को संबोधित करते हुए पाकिस्तान को कश्मीर से दूर रहने की कड़ी चेतावनी दी। उनकी यह घोषणा न केवल कश्मीर की अखंडता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, बल्कि उस समय की जटिल भू-राजनीतिक स्थिति में भारत की दृढ़ता को भी उजागर करती है। सरदार पटेल का यह संदेश आज भी भारत की एकता और संप्रभुता के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

कश्मीर के प्रति अटल संकल्प


सरदार पटेल ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया, "अगर पाकिस्तान ने हमारे साथ अपना भाग्य लिखना तय कर लिया है, तो हम कश्मीर और उसकी जनता को अपने से अलग नहीं करेंगे।" यह कथन कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग मानने की उनकी अटल नीति को दर्शाता है। उन्होंने कश्मीर की जनता के साथ भारत के गहरे भावनात्मक और रणनीतिक जुड़ाव पर जोर दिया, जिसे किसी भी कीमत पर तोड़ा नहीं जा सकता।

पाकिस्तान की धमकियों का जवाब

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान के विदेश मंत्री जफरुल्ला खान ने धमकी दी थी कि यदि भारत कश्मीर से अपनी सेना नहीं हटाता, तो पाकिस्तान अतिरिक्त सैन्य बल भेजेगा और हवाई हमलों का सहारा लेगा। इस धमकी का जवाब देते हुए सरदार पटेल ने निर्भीकता के साथ कहा, "हम इस तरह की धमकियों से डरने वाले नहीं हैं।" उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत को अपने क्षेत्र की रक्षा करने और आक्रमण से बचाने का पूर्ण अधिकार है। यह कथन भारत की सैन्य और नैतिक ताकत को प्रदर्शित करता है।

हैदराबाद और जूनागढ़ का उदाहरण

सरदार पटेल ने अपने संबोधन में हैदराबाद और जूनागढ़ के उदाहरणों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि हैदराबाद के निजाम को बार-बार विलय के लिए समझाने की कोशिश की गई, लेकिन उनकी अनिच्छा के कारण स्थिति जटिल हो गई। अंततः, निजाम ने अपनी गलती स्वीकारी और विलय के लिए सहमति दी। इसी तरह, कश्मीर ने भी शुरुआत में अलग-थलग रहने का प्रयास किया, लेकिन समय पर कार्रवाई न करने के कारण पिछले एक वर्ष में कई दुखद घटनाएं हुईं। सरदार पटेल ने जोर देकर कहा कि यदि समय पर उचित कदम उठाए गए होते, तो इन घटनाओं से बचा जा सकता था।

कश्मीर में भारत की त्वरित सहायता

जब कश्मीर के शासक और जनता ने भारत से मदद मांगी, तो भारत ने तुरंत अपनी सेना और संसाधन उनकी सुरक्षा के लिए भेजे। सरदार पटेल ने कहा, "जब जरूरत के समय राज्य ने हमसे संपर्क किया और जनता व शासक दोनों हमारे पास मदद के लिए आए, तो हमने तुरंत उनकी सहायता की।" यह कदम भारत की संवेदनशीलता और जिम्मेदारी को दर्शाता है। हालांकि, युद्ध को एक वर्ष बीत चुका था, और संयुक्त राष्ट्र में यह मुद्दा अभी भी अनसुलझा था।

धमकियों के खिलाफ भारत की दृढ़ता

पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने भारत पर अधिक सैन्य बल भेजने का आरोप लगाया और सेना वापस बुलाने की मांग की। इसके साथ ही, उन्होंने हवाई हमलों की धमकी भी दोहराई। सरदार पटेल ने इन धमकियों को खारिज करते हुए कहा, "हम अपने राज्य को विश्वासघात और आक्रमण से बचाने के लिए सेना और सामग्री भेजेंगे। ऐसा करना हमारा अधिकार है।" यह कथन भारत की संप्रभुता और आत्मरक्षा के प्रति उनकी दृढ़ता को रेखांकित करता है।

सरदार पटेल का यह संबोधन कश्मीर की रक्षा और भारत की एकता के लिए उनकी अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है। उन्होंने न केवल पाकिस्तान की धमकियों का निर्भीक जवाब दिया, बल्कि कश्मीर की जनता और भारत के बीच अटूट बंधन को भी रेखांकित किया। उनका यह संदेश आज भी हमें सिखाता है कि एकता, दृढ़ता और संवेदनशीलता के साथ किसी भी चुनौती का सामना किया जा सकता है। सरदार पटेल की यह चेतावनी भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पल है, जो हमें अपनी संप्रभुता और एकता की रक्षा के लिए प्रेरित करता है।



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