05-01-1948 Kashmir and the unity of India: Sardar Patel's historic speech at Kolkata | Vithalbhai Patel, Sardar Patel

05-01-1948 Kashmir and the unity of India: Sardar Patel's historic speech at Kolkata

05-01-1948 Kashmir and the unity of India: Sardar Patel's historic speech at Kolkata

कश्मीर का एक इंच भी नहीं छोड़ा जाएगा : सरदार पटेल ने बंगाल के लोगों को विश्वास दिलाया 

5 जनवरी 1948 को, कोलकाता के मैदान में एक विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए, भारत के उपप्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल ने देशवासियों से धैर्य, एकता और सहनशीलता बनाए रखने की भावपूर्ण अपील की। इस संबोधन में उन्होंने कश्मीर की अखंडता, भारत की एकता, और विभाजन के बाद की चुनौतियों पर अपने विचार स्पष्ट रूप से व्यक्त किए। सरदार पटेल का यह संदेश न केवल उस समय की परिस्थितियों के लिए प्रासंगिक था, बल्कि आज भी यह भारत के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

कश्मीर की अखंडता का संकल्प

सरदार पटेल ने अपने संबोधन में कश्मीर के मुद्दे पर भारत की दृढ़ स्थिति को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, "कश्मीर का एक इंच भी नहीं छोड़ा जाएगा।" यह कथन भारत की संप्रभुता और कश्मीर के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने जनमत के सिद्धांत का समर्थन करते हुए स्पष्ट किया कि यदि कोई बलपूर्वक निर्णय थोपने का प्रयास करेगा, तो भारत जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार है।

पाकिस्तान के साथ मतभेदों को सुलझाने में भारत की उदारता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत सहिष्णुता का पालन करना चाहता है। लेकिन यदि पाकिस्तान भारत से प्राप्त संसाधनों का दुरुपयोग करके भारत पर हमला करता है, तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह संदेश भारत की शांति और दृढ़ता के बीच संतुलन को दर्शाता है।

बंगाल के विभाजन का दर्द और एकता की अपील

पूर्वी और पश्चिमी बंगाल के विभाजन से बंगाल की जनता को हुए कष्ट के प्रति गहरी सहानुभूति व्यक्त करते हुए सरदार पटेल ने कहा कि अब यह प्रश्न उठाने का समय नहीं है कि विभाजन क्यों स्वीकार किया गया। इसके बजाय, हमें बुराई से अच्छाई निकालने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि विभाजन के बावजूद दोनों बंगालों के बीच शत्रुता की दीवार नहीं बननी चाहिए। यह अपील बंगाल के लोगों को एकजुट रहने और आपसी मित्रता को बढ़ावा देने का संदेश देती है।

विभाजन के बाद की चुनौतियां और उपलब्धियां

विभाजन के बाद भारत को कई जटिल चुनौतियों का सामना करना पड़ा। सरदार पटेल ने अपने संबोधन में उन उपलब्धियों का उल्लेख किया, जो इस कठिन समय में हासिल की गईं। उन्होंने सेना और भंडारों के विभाजन, साथ ही 40 से 50 लाख लोगों की अदला-बदली को बिना किसी न्यायालय के हस्तक्षेप के सफलतापूर्वक पूरा करने का जिक्र किया। यह कार्य इतना विशाल था कि दुनिया की कोई भी सरकार इस बोझ तले दब सकती थी, लेकिन भारत ने इस तूफान से निकलकर अपनी ताकत साबित की।

भारत की आर्थिक और सैन्य चुनौतियां

सरदार पटेल ने भारत की तत्कालीन संकटपूर्ण स्थिति का भी वर्णन किया। खाद्यान्न की कमी और आयात की भारी कीमत ने देश को आर्थिक रूप से कमजोर किया था। इसके अलावा, स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए एक सुदृढ़ सेना की आवश्यकता थी, जिसमें थलसेना, नौसेना, और वायुसेना के लिए उचित उपकरणों की जरूरत थी। इन चुनौतियों के बावजूद, भारत ने रियासतों का संविलयन करके देश को विखंडन से बचाया, जो उनकी दूरदर्शिता और नेतृत्व का प्रमाण है।

धर्मनिरपेक्षता और एकता का संदेश

धर्मनिरपेक्षता बनाम हिंदू राज्य के अनावश्यक विवाद की आलोचना करते हुए सरदार पटेल ने स्पष्ट किया कि हिंदू राज्य की बात गंभीर नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत में 4.5 करोड़ मुसलमान हैं, जिनमें से कई ने पाकिस्तान के निर्माण में योगदान दिया था। लेकिन उनकी देशभक्ति पर शक करने के बजाय, उन्हें अपनी अंतरात्मा से सवाल करना चाहिए। यह कथन भारत की धर्मनिरपेक्षता और समावेशी नीति को दर्शाता है, जो सभी धर्मों के लोगों को एक साथ जोड़ने पर केंद्रित थी।

पाकिस्तान के लिए संदेश और भारत की आकांक्षा

सरदार पटेल ने पाकिस्तान को संबोधित करते हुए कहा, "अब आप पाकिस्तान पा चुके हैं। इसे स्वर्ग बनाएं, हम इसका स्वागत करेंगे।" उन्होंने यह भी कहा कि यदि भारत ने विभाजन स्वीकार नहीं किया होता, तो देश टुकड़ों में बंट गया होता। लेकिन अब जब भारत एक बड़े हिस्से को एकजुट करने में सफल हुआ है, तो इसे और शक्तिशाली बनाने का समय है। उन्होंने युवाओं से अनुशासन और एकता के साथ कार्य करने की अपील की, ताकि भारत विश्व में अपना गौरवशाली स्थान प्राप्त कर सके।

सरदार पटेल का यह संबोधन भारत की एकता, कश्मीर की अखंडता, और स्वतंत्रता के बाद की चुनौतियों से निपटने की उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति का प्रतीक है। उन्होंने न केवल कश्मीर के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया, बल्कि बंगाल के लोगों को एकता और सहिष्णुता का संदेश भी दिया। उनका यह कथन कि "हमें ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए, जिससे हमारा सिर शर्म से झुक जाए," आज भी हमें प्रेरित करता है कि हम अपनी स्वतंत्रता का उपयोग गर्व और सम्मान के साथ करें। सरदार पटेल का यह संदेश भारत के इतिहास में एक अमर अध्याय है, जो हमें एकजुट और शक्तिशाली राष्ट्र के निर्माण की दिशा में मार्गदर्शन करता है।




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