31-10-2022 - Sardar Patel's Birthday - सरदार-नहेरु के रिश्ते और कुछ यादें सरदार की | Vithalbhai Patel, Sardar Patel

31-10-2022 - Sardar Patel's Birthday - सरदार-नहेरु के रिश्ते और कुछ यादें सरदार की

आज सरदार पटेल के जन्म दिवस पर देश में सरदार पटेल और जवाहर लाल नहेरु दो महानुभावों के संबंध / रिश्तों के बारे में आज कल जो बातें हो रही है,
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सरदार-नहेरु के रिश्ते और कुछ यादें सरदार की

31-10-2022


आज सरदार पटेल के जन्म दिवस पर देश में सरदार पटेल और जवाहर लाल नहेरु दो महानुभावों के संबंध / रिश्तों के बारे में आज कल जो बातें हो रही है, उस विषय पर आज कुछ प्रसंग साझा करना चाहता हूँ। सरदार पटेल के नहेरु के साथ मतभेद जरूर थे लेकिन वे दोनों एक दूसरे के दुश्मन कभी न थे। वर्ष १९४७ के अंतिम महिने की बात है, जब सरदार पटेल और जवाहर लाल नहेरु के मतभेद चरमसीमा पर थे तब दोनों ने अपनी बात और अपना मंतव्य गांधीजी के समक्ष रखा, गाँधीजीने दोनों को सुना और सरदार पटेल से बात करते हुए कहा की :

आप की आजकी लोकप्रियता और प्रतिष्ठा का ख्याल रखते हुए मुझे लगता है की आप को प्रधानमंत्री पद का स्वीकार करना चाहिए!

सरदार पटेलने बहुत विनम्र भाव से गांधीजी को कहा की :

प्रधानमंत्री तो जवाहर लाल बने रहे, मुझे राजकार्य से मुक्त करो यही एक प्रार्थना आप को करता हूँ, यदि में प्रधानमंत्री पद का स्वीकार करता हूँ तो जो लोग मेरे बारे में गलत बातें फैला रहे है उनकी बात को बिना कारण पुष्टि मिल जाएगी।

समझना यह है की भारत आजाद १५ अगस्त १९४७ को हुआ और १९४७ के अंतिम महीने मतलब यह बात १५ अगस्त और ३१ दिसंबर १९४७ के महीनों के दौरान हुई थी। यह बात का ब्योरा सरदार पटेल की पुत्री कुमारी मणिबेन पटेलने अपनी दिन वारी में भी लिखा है।

फ़ैज़पुर कॉंग्रेस अधिवेशन के दौरान जवाहर लाल कॉंग्रेस के प्रमुख चुने गए, उसके बाद नेहरू गुजरात के दौरे पर आए, बड़ौदा स्टेशन से एक बहुत बड़ा जुलूस निकला, बड़ौदा के राज मार्ग पर लोगों ने नेहरू का पुष्प वर्षा के साथ स्वागत किया। जुलूस के दौरान बारिश शुरू हो गई, और बारिश में नेहरू भीग रहे थे, तभी सरदार पटेलने किसी को कहा : 

कोई छाता ले कर आओ और नेहरू को भीगने से बचाओ अगर नेहरू बीमार हो गए तो में क्या जवाब दूंगा? 

लेकिन नेहरू ने छाता ले कर आए व्यक्ति को मना किया और उस व्यक्ति ने सरदार के सामने देखा तब सरदार बोले : 

उनको बोलने दो, आप छाता उनके सर पर लगाकर रखो। 

नेहरू सरदार को ध्यान से देख रहे थे और नेहरू मुसकुराते हुए बोले : 

आप क्यू मेरे सिर पर छाता लगाने को कहते हो, इतने लोग भीग रहे है! 

सरदार बोले : 

आप हमारे मेहमान हो और अभी गुजरात का आधा सफ़र बाकी है। 

इस प्रसंग से समज सकते है की सरदार नेहरू का कितना ध्यान रखते थे।

सरदार स्पष्ट वक्ता थे यह बात सब जानते है, एक किस्सा जो कॉंग्रेस महा समिति के दौरान हुआ। कॉंग्रेस महा समिति की मीटिंग के दौरान मियां इफ़तीखारुद्दीनने मुस्लिम लीग की बात छेड़ी, और उन्होंने मुस्लिम लीग के बारे में कोई ऐसी बात कही जो सरदार पटेल को ईस लिए पसंद नहीं आई क्योंकि उस बात में मुस्लिम लीग की प्रशंसा हो रही थी, सरदार ने मियां इफ़तीखारुद्दीन को कहा :

जिन मुस्लिमों को कॉंग्रेस पर भरोसा हो वे कॉंग्रेस में रहे और जिन मुस्लिमों को कॉंग्रेस पर भरोसा नहीं वे लोग खुशी-खुशी मुस्लिम लीग में जा सकते है। कॉंग्रेस में ऐसे किसी भी मुस्लिमों का काम नहीं जिनकी वफादारी दोनों तरफ हो। अगर आपको भी कॉंग्रेस पर एतबार न हो तो आप भी चले जाए यहाँ से लीग में

भारत के गृहमंत्री सरदार पटेल दिल्ली के पुराने किले में पाकिस्तान से आए निराश्रितों मिलने रात को बारह बजे पहुँच गए और उनको किसी भी प्रकार की तकलीफ न हो और कोई भी घटना न बने इसका निर्देश पुलिस और प्रशासन के लोगों को दिया। सरदार पटेल के दिल में कभी किसी के लिए कोई घृणा नहीं थी। फिर भी गांधीजी को लोग पटेल के बारे में शिकायत करते रहते और ईस बात से सरदार को दुख होता, लेकिन सरदार गांधीजी के समक्ष अपनी बात सच्चाई से करते।

जब गांधीजी के मृत्यु के समाचार उनको मिले तो वे तुरंत बिरला हाउस गए और बापू के देख को देख एक बालक की तरह रो पड़े, सरदार को अपनी पत्नी के अवसान पर भी कभी आँसू नहीं आए थे लेकिन बापू के पार्थिव शरीर को देख एक बालक की तरह रो पड़े।

अंत में सरदार पटेल जब बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए लंदन गए, और उन्होंने अपना अभ्यास मिडल टेंपल में शुरू किया। तब उनकी आयु ३४ वर्ष थी, पढ़ाई के दौरान उनके पैरो में ४ आपरेशन हुए, और डॉक्टर कीड जिनका अस्पताल ५५ हार्ले स्ट्रीट पर था उन्होंने ६ जून १९१२ को अपनी रिपोर्ट में लिखा की : 

वल्लभभाई पटेल को इंग्लैंड की सर्दी का मौसम तकलीफ देगा, उन्हें जितनी जल्दी हो सके भारत लौट जाना चाहिए, इंग्लैंड की आबोहवा उनके स्वास्थ्य को बिगाड़ रही है। 

सरदार पटेल एक निडर और सच्चा देश भक्त था जो विपरीत परिस्थिति ओ में भी हार नहीं मानते थे और अपने अंतिम दिनों तक भारत की सेवा करते रहे। 

रशेष पटेल - करमसद


Photo Courtesy : Photo Division of India




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